उपस्थ: Difference between revisions
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उपस्थ | <span class="GRef"> मूलाचार/988-989</span> <span class="PrakritText">जिब्भोवत्थणिमित्तं जीवो दुक्खं अणादिसंसारे। पत्तो अणंतसो तो जिब्भोवत्थे जह दाणिं।988। चदुरंगुला च जिब्भा असुहा चदुरंगुलो उवत्थो वि। अठ्ठंगुलदोसेण दु जीवो दुक्खं हु पप्पोदि।989।</span> =<span class="HindiText">इस अनादिसंसार में इस जीव ने जिह्वा व '''उपस्थ''' इंद्रिय के कारण अनंत बार दु:ख पाया। इसलिए अब इन दोनों को जीत।988। चार अंगुल प्रमाण तो अशुभ यह जिह्वा इंद्रिय और चार ही अंगुल प्रमाण अशुभ यह उपस्थ इंद्रिय, इन आठ अंगुलों के दोष से यह जीव दु:ख पाता है।989।</span></p> | ||
<p class="HindiText">उपस्थ इंद्रिय की प्रधानता -अधिक जानकारी के लिये देखें [[ संयम#2.4 | संयम - 2.4]]।</p> | |||
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मूलाचार/988-989 जिब्भोवत्थणिमित्तं जीवो दुक्खं अणादिसंसारे। पत्तो अणंतसो तो जिब्भोवत्थे जह दाणिं।988। चदुरंगुला च जिब्भा असुहा चदुरंगुलो उवत्थो वि। अठ्ठंगुलदोसेण दु जीवो दुक्खं हु पप्पोदि।989। =इस अनादिसंसार में इस जीव ने जिह्वा व उपस्थ इंद्रिय के कारण अनंत बार दु:ख पाया। इसलिए अब इन दोनों को जीत।988। चार अंगुल प्रमाण तो अशुभ यह जिह्वा इंद्रिय और चार ही अंगुल प्रमाण अशुभ यह उपस्थ इंद्रिय, इन आठ अंगुलों के दोष से यह जीव दु:ख पाता है।989।
उपस्थ इंद्रिय की प्रधानता -अधिक जानकारी के लिये देखें संयम - 2.4।