भूतबली: Difference between revisions
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पुष्पदंत आचार्य के गुरु भाई थे। उनके साथ ही गुरु अर्हद्बलि ने इन्हें महिमा नगर के संघ से गिरनार पर्वत पर धरसेनाचार्य की सेवा में भेजा था। जहां जाकर आपने उनसे षट्खंडागम का ज्ञान प्राप्त किया और उनके पश्चात् उसे लिपिबद्ध करके उनकी भावना को पूरा किया। आप अल्पवय में ही दीक्षित हुए थे, इसलिए पुष्पदंत आचार्य के पीछे तक भी बहुत वर्ष जीवित रहे और इसी कारण षट्खंडागम का अधिकांश भाग आपने ही पूरा किया। समय–वी. नि. 593-683 (ई.66-156) विशेष देखें [[ कोष#1 | कोष - 1]]। परिशिष्ट/2/9। | |||
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मूल संघ की पट्टावली के अनुसार (देखें इतिहास - 8)
आपके दीक्षा गुरु अर्हद्बलि और शिक्षा गुरु धरसेन थे।
पुष्पदंत आचार्य के गुरु भाई थे। उनके साथ ही गुरु अर्हद्बलि ने इन्हें महिमा नगर के संघ से गिरनार पर्वत पर धरसेनाचार्य की सेवा में भेजा था। जहां जाकर आपने उनसे षट्खंडागम का ज्ञान प्राप्त किया और उनके पश्चात् उसे लिपिबद्ध करके उनकी भावना को पूरा किया। आप अल्पवय में ही दीक्षित हुए थे, इसलिए पुष्पदंत आचार्य के पीछे तक भी बहुत वर्ष जीवित रहे और इसी कारण षट्खंडागम का अधिकांश भाग आपने ही पूरा किया। समय–वी. नि. 593-683 (ई.66-156) विशेष देखें कोष - 1। परिशिष्ट/2/9।