ऋद्ध प्राप्त आर्य: Difference between revisions
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<p class="HindiText">= जो गुणों या गुणवालों के द्वारा माने जाते हों-वे आर्य कहलाते हैं।</p> | |||
<p><span class="GRef">सर्वार्थसिद्धि अध्याय 3/36/229/6</span><span class="SanskritText"> ते द्विविधा-ऋद्धिप्राप्तार्या अनृद्धिप्राप्तार्याश्चेति।</span></p> | |||
<p class="HindiText">= उसके दो भेद हैं-'''ऋद्धिप्राप्त आर्य''' और ऋद्धिरहित आर्य।</p> | |||
<p class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ आर्य ]]।</p> | |||
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Latest revision as of 09:20, 21 July 2023
सर्वार्थसिद्धि अध्याय 3/35/229/6
गुणैर्गुणवद्भिर्वा अर्यंते इत्यार्या।
= जो गुणों या गुणवालों के द्वारा माने जाते हों-वे आर्य कहलाते हैं।
सर्वार्थसिद्धि अध्याय 3/36/229/6 ते द्विविधा-ऋद्धिप्राप्तार्या अनृद्धिप्राप्तार्याश्चेति।
= उसके दो भेद हैं-ऋद्धिप्राप्त आर्य और ऋद्धिरहित आर्य।
अधिक जानकारी के लिये देखें आर्य ।