युक्त्यनुशासन: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(4 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | | ||
आ. | == सिद्धांतकोष से == | ||
आ. समंतभद्र (ई. श. 2) कृत संस्कृत छंदों में रचा गया ग्रंथ है। इसमें न्याय व युक्तिपूर्वक जिनशासन की स्थापना की है। इसमें 64 श्लोक हैं। (ती./2/190)। इस पर पीछे आ.विद्यानंदि (ई. 775-840) द्वारा युक्त्यनुशासनालंकार नाम की वृत्ति लिखी गयी है। (ती. 2/265)। | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 8: | Line 9: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: | [[Category: प्रथमानुयोग]] | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> आचार्य | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> आचार्य समंतभद्र द्वारा रचित एक स्तोत्र । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_1#29|हरिवंशपुराण - 1.29]] </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 23: | Line 24: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: य]] | [[Category: य]] | ||
[[Category: इतिहास]] |
Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
आ. समंतभद्र (ई. श. 2) कृत संस्कृत छंदों में रचा गया ग्रंथ है। इसमें न्याय व युक्तिपूर्वक जिनशासन की स्थापना की है। इसमें 64 श्लोक हैं। (ती./2/190)। इस पर पीछे आ.विद्यानंदि (ई. 775-840) द्वारा युक्त्यनुशासनालंकार नाम की वृत्ति लिखी गयी है। (ती. 2/265)।
पुराणकोष से
आचार्य समंतभद्र द्वारा रचित एक स्तोत्र । हरिवंशपुराण - 1.29