वानरवंश: Difference between revisions
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<p> वानर-चिह्नांकित ध्वजाओं को धारण करने वाले विद्याधर राजाओं का वंश । इसका | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> वानर-चिह्नांकित ध्वजाओं को धारण करने वाले विद्याधर राजाओं का वंश । इसका आरंभ किष्कुपुर के विद्याधर राजा अमरप्रभ से हुआ । इस वंश में निम्नलिखित विद्याधर राजा प्रसिद्ध हुए-—राजा अतींद्र, श्रीकंठ, वज्रकंठ, वज्रप्रभ, इंद्रमत, सुमेरु, मंदर, समीरणगति, रविप्रभ, अमरप्रभ, कपिकेतु, प्रतिबल, गगनानंद, खेचरानंद और गिरि-नंदन । तीर्थंकर मुनिसुव्रत के तीर्थ में इस वंश में महोदधि राजा हुआ । इसके पश्चात् प्रतिचंद्र, किष्किंध, अंध्रकरूढ़ि, सूर्यरज, ऋक्षरज, बाली, सुग्रीव, नल, नील, अंग और अंगद राजा हुए । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_6#3|पद्मपुराण - 6.3-10]], [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_6#19|19-55]], 83-84, 117-122, 152-162, 189-191, 198-206, 218, 349, 352, 523, 9.1, 10, 13, 10. 12 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
वानर-चिह्नांकित ध्वजाओं को धारण करने वाले विद्याधर राजाओं का वंश । इसका आरंभ किष्कुपुर के विद्याधर राजा अमरप्रभ से हुआ । इस वंश में निम्नलिखित विद्याधर राजा प्रसिद्ध हुए-—राजा अतींद्र, श्रीकंठ, वज्रकंठ, वज्रप्रभ, इंद्रमत, सुमेरु, मंदर, समीरणगति, रविप्रभ, अमरप्रभ, कपिकेतु, प्रतिबल, गगनानंद, खेचरानंद और गिरि-नंदन । तीर्थंकर मुनिसुव्रत के तीर्थ में इस वंश में महोदधि राजा हुआ । इसके पश्चात् प्रतिचंद्र, किष्किंध, अंध्रकरूढ़ि, सूर्यरज, ऋक्षरज, बाली, सुग्रीव, नल, नील, अंग और अंगद राजा हुए । पद्मपुराण - 6.3-10, 19-55, 83-84, 117-122, 152-162, 189-191, 198-206, 218, 349, 352, 523, 9.1, 10, 13, 10. 12