विशल्याकारिणी: Difference between revisions
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Latest revision as of 13:05, 30 January 2023
हरिवंशपुराण/22/51-73 का भावार्थ
–भगवान् ऋषभदेव से नमि और विनमि द्वारा राज्य की याचना करने पर धरणेंद्र ने अनेक देवों के संग आकर उन दोनों को अपनी देवियों से कुछ विद्याएँ दिलाकर संतुष्ट किया। ...उन्हीं विद्याओं में से एक विद्या विशल्याकारिणी विद्या है।
एक विद्या–देखें विद्या ।