शून्यनय: Difference between revisions
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<span class="GRef">प्रवचनसार/तत्व प्रदीपिका/परिशिष्ठ/नय नं.</span><span class="SanskritText"> ....शून्यनयेन शून्यागारवत्केवलोद्भासि।२२। अशून्यनयेन लोकाक्रान्तनौवन्मिलितोद्भासि।२३।....</span> <span class="HindiText">...२२. शून्यनय से शून्यघर की भांति एकाकी भासित होता है। २३. अशून्यनय से लोगों से भरे हुए जहाज की भांति मिलित भासित होता है। ...</span> | |||
<span class="HindiText">सामान्य विशेष आदि धर्मोरूप ४७ नयों का निर्देश जानने के लिये देखें [[ नय#I.5.4 | नय - I.5.4]]।</span> | |||
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Latest revision as of 12:45, 8 November 2022
प्रवचनसार/तत्व प्रदीपिका/परिशिष्ठ/नय नं. ....शून्यनयेन शून्यागारवत्केवलोद्भासि।२२। अशून्यनयेन लोकाक्रान्तनौवन्मिलितोद्भासि।२३।.... ...२२. शून्यनय से शून्यघर की भांति एकाकी भासित होता है। २३. अशून्यनय से लोगों से भरे हुए जहाज की भांति मिलित भासित होता है। ...
सामान्य विशेष आदि धर्मोरूप ४७ नयों का निर्देश जानने के लिये देखें नय - I.5.4।