सर्वसंक्रमण: Difference between revisions
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<span class="GRef"> धवला 16/ गाथा 1/409</span><span class="PrakritText"> उव्वेलणविज्झादो अधापवत्तो गुणो य सव्वो य। (संकमणं)...।409।</span> = <span class="HindiText">उसके (भागाहार या संक्रमण के) उद्वेलन, विघ्यात, अध:प्रवृत्त, गुणसंक्रमण, और '''सर्वसंक्रमण''' के भेद से पाँच प्रकार हैं।409।।</span> | |||
<p class="HindiText" id=""><strong>नोट</strong> - [अंत की फाली में शेष बचे सर्व प्रदेशों का अन्य प्रकृतिरूप होना '''सर्व संक्रमण''' है। क्योंकि इसका भागाहार एक है।]</p> | |||
<span class="GRef"> गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/413/576/10 </span><span class="SanskritText">चरमकांडकचरमफाले: सर्वप्रदेशाग्रस्य यत्संक्रमणं तत् सर्वसंक्रमणं णाम। | |||
</span> = <span class="HindiText">अंत के कांडक की अंत की फालि के सर्व प्रदेशों में से जो अन्य प्रकृतिरूप नहीं हुए हैं उन परमाणुओं का अन्य प्रकृति रूप होना वह '''सर्व संक्रमण''' है।</span><br> | |||
<span class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ संक्रमण#9 | संक्रमण - 9]]।</span> | |||
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धवला 16/ गाथा 1/409 उव्वेलणविज्झादो अधापवत्तो गुणो य सव्वो य। (संकमणं)...।409। = उसके (भागाहार या संक्रमण के) उद्वेलन, विघ्यात, अध:प्रवृत्त, गुणसंक्रमण, और सर्वसंक्रमण के भेद से पाँच प्रकार हैं।409।।
नोट - [अंत की फाली में शेष बचे सर्व प्रदेशों का अन्य प्रकृतिरूप होना सर्व संक्रमण है। क्योंकि इसका भागाहार एक है।]
गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/413/576/10 चरमकांडकचरमफाले: सर्वप्रदेशाग्रस्य यत्संक्रमणं तत् सर्वसंक्रमणं णाम।
= अंत के कांडक की अंत की फालि के सर्व प्रदेशों में से जो अन्य प्रकृतिरूप नहीं हुए हैं उन परमाणुओं का अन्य प्रकृति रूप होना वह सर्व संक्रमण है।
अधिक जानकारी के लिये देखें संक्रमण - 9।