साधर्म्य उदाहरण: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(3 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
देखें [[ | |||
<p class="HindiText">हेतु की सिद्धि में साधनभूत कोई दृष्ट पदार्थ जिससे कि वादी व प्रतिवादी दोनों सम्मत हों, दृष्टांत कहलाता है। और उसको बताने के लिए जिन वचनों का प्रयोग किया जाता है वह उदाहरण कहलाता है। अनुमान ज्ञान में इसका एक प्रमुख स्थान है।</p> | |||
<span class="GRef"> न्यायदर्शन सूत्र/ मूल व टीका/1/1/36/37/35</span> <span class="SanskritText">साध्यसाधर्म्यात्तद्धर्मभावी दृष्टांत उदाहरणम् ।36। ...शब्दोऽप्युत्पत्तिधर्मकत्वादनित्य: स्थाल्यादिवदित्युदाह्रियते।।टीका।। तद्विपर्ययाद्वा विपरीतम् ।37। ...अनित्य: शब्द उत्पत्तिधर्मकत्वात् अनुत्पतिधर्मकं नित्यमात्मादि सोऽयमात्मादिर्दृष्टांत:। </span>=<span class="HindiText">साध्य के साथ तुल्य धर्मता से साध्य का धर्म जिसमें हो ऐसे दृष्टांत को '''(साधर्म्य) उदाहरण''' कहते हैं।36। शब्द अनित्य है, क्योंकि उत्पत्ति धर्मवाला है, जो-जो उत्पत्ति धर्मवाला होता है वह-वह अनित्य होता है जैसे कि ‘घट’। यह अन्वयी '''(साधर्म्य) उदाहरण''' का लक्षण कहा। साध्य के विरुद्ध धर्म से विपरीत (वैधर्म्य) उदाहरण होता है, जैसे शब्द अनित्य है, उत्पत्यर्थ वाला होने से, जो उत्पत्ति धर्मवाला नहीं होता है, वह नित्य देखा गया है, जैसे–आकाश, आत्मा, काल आदि।</span><br /> | |||
<span class="GRef"> न्यायविनिश्चय/ टीका/2/211/240/20</span> <span class="SanskritText">तत्र साधर्म्येण कृतकत्वादनित्यत्वे साध्ये घट:, तत्रान्वयमुखेन तयो: संबंधप्रतिपत्ते:। वैधर्म्येणाकाशं तत्रापि व्यतिरेकद्वारेण तयोस्तत्परिज्ञानात् । </span>=<span class="HindiText">कृतक होने से अनित्य है जैसे कि ‘घट’। इस हेतु में दिया गया '''दृष्टांत साधर्म्य''' है। यहाँ अन्वय की प्रधानता से कृतकत्व और अनित्यत्व इन दोनों की व्याप्ति दर्शायी गयी है। अकृतक होने से अनित्य नहीं है जैसे कि ‘आकाश’, यहाँ व्यतिरेक द्वारा कृतक व अनित्यत्व धर्मों की व्याप्ति दर्शायी गयी है। <span class="GRef">( न्यायदीपिका/3/32/78/7 )</span>।</span><br /> | |||
<span class="HindiText"> विस्तार के लिये देखें [[ दृष्टांत#1.3 | दृष्टांत - 1.3]]।</span> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 8: | Line 13: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: स]] | [[Category: स]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 22:36, 17 November 2023
हेतु की सिद्धि में साधनभूत कोई दृष्ट पदार्थ जिससे कि वादी व प्रतिवादी दोनों सम्मत हों, दृष्टांत कहलाता है। और उसको बताने के लिए जिन वचनों का प्रयोग किया जाता है वह उदाहरण कहलाता है। अनुमान ज्ञान में इसका एक प्रमुख स्थान है।
न्यायदर्शन सूत्र/ मूल व टीका/1/1/36/37/35 साध्यसाधर्म्यात्तद्धर्मभावी दृष्टांत उदाहरणम् ।36। ...शब्दोऽप्युत्पत्तिधर्मकत्वादनित्य: स्थाल्यादिवदित्युदाह्रियते।।टीका।। तद्विपर्ययाद्वा विपरीतम् ।37। ...अनित्य: शब्द उत्पत्तिधर्मकत्वात् अनुत्पतिधर्मकं नित्यमात्मादि सोऽयमात्मादिर्दृष्टांत:। =साध्य के साथ तुल्य धर्मता से साध्य का धर्म जिसमें हो ऐसे दृष्टांत को (साधर्म्य) उदाहरण कहते हैं।36। शब्द अनित्य है, क्योंकि उत्पत्ति धर्मवाला है, जो-जो उत्पत्ति धर्मवाला होता है वह-वह अनित्य होता है जैसे कि ‘घट’। यह अन्वयी (साधर्म्य) उदाहरण का लक्षण कहा। साध्य के विरुद्ध धर्म से विपरीत (वैधर्म्य) उदाहरण होता है, जैसे शब्द अनित्य है, उत्पत्यर्थ वाला होने से, जो उत्पत्ति धर्मवाला नहीं होता है, वह नित्य देखा गया है, जैसे–आकाश, आत्मा, काल आदि।
न्यायविनिश्चय/ टीका/2/211/240/20 तत्र साधर्म्येण कृतकत्वादनित्यत्वे साध्ये घट:, तत्रान्वयमुखेन तयो: संबंधप्रतिपत्ते:। वैधर्म्येणाकाशं तत्रापि व्यतिरेकद्वारेण तयोस्तत्परिज्ञानात् । =कृतक होने से अनित्य है जैसे कि ‘घट’। इस हेतु में दिया गया दृष्टांत साधर्म्य है। यहाँ अन्वय की प्रधानता से कृतकत्व और अनित्यत्व इन दोनों की व्याप्ति दर्शायी गयी है। अकृतक होने से अनित्य नहीं है जैसे कि ‘आकाश’, यहाँ व्यतिरेक द्वारा कृतक व अनित्यत्व धर्मों की व्याप्ति दर्शायी गयी है। ( न्यायदीपिका/3/32/78/7 )।
विस्तार के लिये देखें दृष्टांत - 1.3।