सौम्या वांचना: Difference between revisions
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<span class="GRef"> धवला 9/4, 1, 54/252/5 </span><span class="SanskritText">सा चतुर्विधा नंदा भद्रा जया सौम्या चेति। पूर्वपक्षीकृतपरदर्शनानि निराकृत्य स्वपक्षस्थापिका व्याख्या नंदा। तत्र युक्तिभिः प्रत्यवस्थाय पूर्वापरविरोधपरिहारेण विना तंत्रार्थ कथनं जया। क्वचित् क्वचित् स्खलितवृत्तेर्व्याख्या सौम्या।</span> = <span class="HindiText">वह (वाचना) चार प्रकार है - नंदा, भद्रा, जया और '''सौम्या'''। अन्य दर्शनों को पूर्वपक्ष करके उनका निराकरण करते हुए अपने पक्ष को स्थापित करने वाली व्याख्या नंदा कहलाती है। युक्तियों द्वारा समाधान करके पूर्वापर विरोध का परिहार करते हुए सिद्धांत में स्थित समस्त पदार्थों की व्याख्या का नाम भद्रा है। पूर्वापर विरोध के परिहार के बिना सिद्धांत के अर्थों का कथन करना जया वाचना कहलाती है। कहीं-कहीं स्खलनपूर्ण वृत्ति से जो व्याख्या की जाती है, वह '''सौम्या वाचना''' है। </span> | |||
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धवला 9/4, 1, 54/252/5 सा चतुर्विधा नंदा भद्रा जया सौम्या चेति। पूर्वपक्षीकृतपरदर्शनानि निराकृत्य स्वपक्षस्थापिका व्याख्या नंदा। तत्र युक्तिभिः प्रत्यवस्थाय पूर्वापरविरोधपरिहारेण विना तंत्रार्थ कथनं जया। क्वचित् क्वचित् स्खलितवृत्तेर्व्याख्या सौम्या। = वह (वाचना) चार प्रकार है - नंदा, भद्रा, जया और सौम्या। अन्य दर्शनों को पूर्वपक्ष करके उनका निराकरण करते हुए अपने पक्ष को स्थापित करने वाली व्याख्या नंदा कहलाती है। युक्तियों द्वारा समाधान करके पूर्वापर विरोध का परिहार करते हुए सिद्धांत में स्थित समस्त पदार्थों की व्याख्या का नाम भद्रा है। पूर्वापर विरोध के परिहार के बिना सिद्धांत के अर्थों का कथन करना जया वाचना कहलाती है। कहीं-कहीं स्खलनपूर्ण वृत्ति से जो व्याख्या की जाती है, वह सौम्या वाचना है। देखें वाचना ।