हीन: Difference between revisions
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<li> <span class="HindiText">मुनियों को उत्थित कायोत्सर्ग के दोषों का त्याग करना चाहिए। उन दोषों में एक दोष है-- कायोत्सर्ग के योग्य प्रमाण से कम काल तक करना '''हीन''' या न्यून।</li><br> | |||
<span class="HindiText">कायोत्सर्ग के अतिचारों के बारे में विस्तार से जानने के लिये देखें [[ व्युत्सर्ग#1.10 | व्युत्सर्ग - 1.10]]। </span> | |||
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Latest revision as of 14:03, 27 November 2022
- गणित की व्यकलन प्रक्रिया में मूल राशि को ऋण राशिकरि हीन कहा जाता है। - देखें गणित - II.1.4।
- मुनियों को उत्थित कायोत्सर्ग के दोषों का त्याग करना चाहिए। उन दोषों में एक दोष है-- कायोत्सर्ग के योग्य प्रमाण से कम काल तक करना हीन या न्यून।
कायोत्सर्ग के अतिचारों के बारे में विस्तार से जानने के लिये देखें व्युत्सर्ग - 1.10।