अक्षिप्र: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(2 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p>मतिज्ञान | <span class="GRef"> धवला 6/1,9-1,14/20/3 </span><span class="PrakritText">आसुग्गहणं खिप्पावग्गहो, सणिग्गहणमखिप्पावग्गहो। </span>= <span class="HindiText">शीघ्रतापूर्वक वस्तु को ग्रहण करना क्षिप्र अवग्रह है और शनै: शनै: ग्रहण करना '''अक्षिप्र''' अवग्रह है। <span class="GRef">( धवला 9/4,1,45/152/4 )</span>; <span class="GRef">( धवला 13/5,5,35/237/9 )</span>।</span><br /> | ||
<span class="GRef"> गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/311/667/14 </span><span class="SanskritText">क्षिप्र: शीघ्रपतंजलधाराप्रवाहादि:। ... अक्षिप्र: मंदं गच्छन्नश्वादि:।</span> = <span class="HindiText">शीघ्रता से पड़ती जलधारा आदि का ग्रहण क्षिप्र है और मंदगति से चलते हुए घोड़े आदि का '''अक्षिप्र''' अवग्रह है। </span></li> | |||
<p class="HindiText"> मतिज्ञान के अन्य भेदों को जानने के लिये देखें [[ मतिज्ञान]]।</p> | |||
Line 9: | Line 13: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 22:14, 17 November 2023
धवला 6/1,9-1,14/20/3 आसुग्गहणं खिप्पावग्गहो, सणिग्गहणमखिप्पावग्गहो। = शीघ्रतापूर्वक वस्तु को ग्रहण करना क्षिप्र अवग्रह है और शनै: शनै: ग्रहण करना अक्षिप्र अवग्रह है। ( धवला 9/4,1,45/152/4 ); ( धवला 13/5,5,35/237/9 )।
गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/311/667/14 क्षिप्र: शीघ्रपतंजलधाराप्रवाहादि:। ... अक्षिप्र: मंदं गच्छन्नश्वादि:। = शीघ्रता से पड़ती जलधारा आदि का ग्रहण क्षिप्र है और मंदगति से चलते हुए घोड़े आदि का अक्षिप्र अवग्रह है।
मतिज्ञान के अन्य भेदों को जानने के लिये देखें मतिज्ञान।