अन्योन्याभाव: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> | <span class="GRef">जैन सिद्धांत प्रवेशिका/181</span> <p class="HindiText">अभाव चार हैं-प्रागभाव, प्रध्वंसाभाव, '''अन्योन्याभाव''' व अत्यंताभाव।</p> | ||
<span class="GRef">जैन सिद्धांत प्रवेशिका/184</span><p class="HindiText"> पुद्गल की एक वर्तमान पर्याय में दूसरे पुद्गल की वर्तमान पर्याय के अभाव को '''अन्योन्याभाव''' कहते हैं।</p><br> | |||
<p class="HindiText"> देखें [[ अभाव ]]।</p> | |||
Line 9: | Line 12: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 17:14, 23 December 2022
जैन सिद्धांत प्रवेशिका/181
अभाव चार हैं-प्रागभाव, प्रध्वंसाभाव, अन्योन्याभाव व अत्यंताभाव।
जैन सिद्धांत प्रवेशिका/184
पुद्गल की एक वर्तमान पर्याय में दूसरे पुद्गल की वर्तमान पर्याय के अभाव को अन्योन्याभाव कहते हैं।
देखें अभाव ।