अनारंभ: Difference between revisions
From जैनकोष
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
|||
(2 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef">प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका / गाथा 239</span> <p class="SanskritText">निःक्रियनिजशुद्धात्मद्रव्ये स्थित्वा मनोवचनकायव्यापारनिवृत्तिरनारंभः। </p> | |||
<p class="HindiText">= निष्क्रिय जो निज शुद्धात्म द्रव्य, उसमें स्थित होने के कारण मन वचन | <p class="HindiText">= निष्क्रिय जो निज शुद्धात्म द्रव्य, उसमें स्थित होने के कारण मन वचन काय के व्यापार से निवृत्त हो जाना अनारंभ है।</p> | ||
Line 11: | Line 11: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 14:17, 16 December 2022
प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका / गाथा 239
निःक्रियनिजशुद्धात्मद्रव्ये स्थित्वा मनोवचनकायव्यापारनिवृत्तिरनारंभः।
= निष्क्रिय जो निज शुद्धात्म द्रव्य, उसमें स्थित होने के कारण मन वचन काय के व्यापार से निवृत्त हो जाना अनारंभ है।