असद्वेद्यास्रव: Difference between revisions
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<p> असाताकारी आस्रव । निज और पर दोनों के विषय में होने व दु:ख, शोक, वध, आक्रंदन, ताप और परिवेदन ये इस आस्रव के द्वार हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.93 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> असाताकारी आस्रव । निज और पर दोनों के विषय में होने व दु:ख, शोक, वध, आक्रंदन, ताप और परिवेदन ये इस आस्रव के द्वार हैं । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_58#93|हरिवंशपुराण - 58.93]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
असाताकारी आस्रव । निज और पर दोनों के विषय में होने व दु:ख, शोक, वध, आक्रंदन, ताप और परिवेदन ये इस आस्रव के द्वार हैं । हरिवंशपुराण - 58.93