आरण्यक: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(4 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> वैदिक साहित्य का उपनिषदों से पूर्व का एक अंग । क्षीरकदंबक ने इसी वन में नारद आदि अपने शिष्यों को | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> वैदिक साहित्य का उपनिषदों से पूर्व का एक अंग । क्षीरकदंबक ने इसी वन में नारद आदि अपने शिष्यों को पढ़ाया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_11#15|पद्मपुराण - 11.15]], </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_17#40|हरिवंशपुराण - 17.40]] </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: आ]] | [[Category: आ]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
वैदिक साहित्य का उपनिषदों से पूर्व का एक अंग । क्षीरकदंबक ने इसी वन में नारद आदि अपने शिष्यों को पढ़ाया था । पद्मपुराण - 11.15, हरिवंशपुराण - 17.40