उटि्टंटिकारी: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(3 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> सुकांत और रतिवेगा का बैरी । कबूतर-कबूतरी की पर्याय में उत्पन्न हुए सुकांत और रतिवेगा को इसने मार्जार होकर खाया भी था तथा सुकांत और रतिवेगा के हिरण्यवर्मा और प्रभावती नाम से विद्याधर पर्याय में जन्मने पर इसने विद्युद्वेग नामक चोर के रूप में जन्म लेकर उन्हें अग्नि में जलाया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 12. 18-21 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> सुकांत और रतिवेगा का बैरी । कबूतर-कबूतरी की पर्याय में उत्पन्न हुए सुकांत और रतिवेगा को इसने मार्जार होकर खाया भी था तथा सुकांत और रतिवेगा के हिरण्यवर्मा और प्रभावती नाम से विद्याधर पर्याय में जन्मने पर इसने विद्युद्वेग नामक चोर के रूप में जन्म लेकर उन्हें अग्नि में जलाया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_12#18|हरिवंशपुराण - 12.18-21]] </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: उ]] | [[Category: उ]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
सुकांत और रतिवेगा का बैरी । कबूतर-कबूतरी की पर्याय में उत्पन्न हुए सुकांत और रतिवेगा को इसने मार्जार होकर खाया भी था तथा सुकांत और रतिवेगा के हिरण्यवर्मा और प्रभावती नाम से विद्याधर पर्याय में जन्मने पर इसने विद्युद्वेग नामक चोर के रूप में जन्म लेकर उन्हें अग्नि में जलाया था । हरिवंशपुराण - 12.18-21