चपलगति: Difference between revisions
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<p> विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी के गण्यपुर नगर के राजा सूर्यप्रभ (अपरनाम सूर्याभि) और उसकी रानी धारिणी का तीसरा पुत्र । चिंतागति और मनोगति इसके | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी के गण्यपुर नगर के राजा सूर्यप्रभ (अपरनाम सूर्याभि) और उसकी रानी धारिणी का तीसरा पुत्र । चिंतागति और मनोगति इसके बड़े भाई थे । इन तीनों ने अरिंजयपुर के राजा अरिंजय और उसकी रानी अजितसेना की पुत्री प्रीतिमती के साथ गतियुद्ध में भाग लिया था । मनोगति और चपलगति तो हार गये और चिंतागति जीत गया । चिंतागति ने चाहा कि प्रीतिमती उसके छोटे भाई का वरण कर ले । प्रीतिमती ने यह बात नहीं मानी और उसने विवृता नाम की आर्यिका से आर्यिका की दीक्षा ले ली । उधर यह और इसके दोनों बड़े भाई भी दमवर मुनि के निकट दीक्षित हो गये तथा आयु के अंत में तीनों भाई माहेंद्र स्वर्ग के अंतिम पटल में सात सागर की आयु प्राप्त कर सामानिक जाति के देव हुए । <span class="GRef"> महापुराण 70.27-37, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_34#17|हरिवंशपुराण - 34.17]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी के गण्यपुर नगर के राजा सूर्यप्रभ (अपरनाम सूर्याभि) और उसकी रानी धारिणी का तीसरा पुत्र । चिंतागति और मनोगति इसके बड़े भाई थे । इन तीनों ने अरिंजयपुर के राजा अरिंजय और उसकी रानी अजितसेना की पुत्री प्रीतिमती के साथ गतियुद्ध में भाग लिया था । मनोगति और चपलगति तो हार गये और चिंतागति जीत गया । चिंतागति ने चाहा कि प्रीतिमती उसके छोटे भाई का वरण कर ले । प्रीतिमती ने यह बात नहीं मानी और उसने विवृता नाम की आर्यिका से आर्यिका की दीक्षा ले ली । उधर यह और इसके दोनों बड़े भाई भी दमवर मुनि के निकट दीक्षित हो गये तथा आयु के अंत में तीनों भाई माहेंद्र स्वर्ग के अंतिम पटल में सात सागर की आयु प्राप्त कर सामानिक जाति के देव हुए । महापुराण 70.27-37, हरिवंशपुराण - 34.17