चार: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
No edit summary |
||
(3 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | | ||
चार की संख्या कृति कहलाती है–देखें [[ कृति ]]। | == सिद्धांतकोष से == | ||
<div class="HindiText">चार की संख्या कृति कहलाती है–देखें [[ कृति ]]। </div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 12: | Line 13: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> गुप्तचर । ये राजा की आँख होते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 4.170, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 50.11 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> गुप्तचर । ये राजा की आँख होते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 4.170, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_50#11|हरिवंशपुराण - 50.11]] </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 23: | Line 24: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: च]] | [[Category: च]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] | |||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 21:49, 25 January 2024
सिद्धांतकोष से
चार की संख्या कृति कहलाती है–देखें कृति ।
पुराणकोष से
गुप्तचर । ये राजा की आँख होते हैं । महापुराण 4.170, हरिवंशपुराण - 50.11