द्युत: Difference between revisions
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<p> सात व्यसनों में पहला व्यसन-जुआ । यह यश और वन की हानि करने वाला, सब अनर्थों का कारण तथा इहलोक और परलोक दोनों में अनेक दुःखों का दाता है । युधिष्ठिर इसी से दुःख में पड़ा था । वह न केवल धन दौलत अपितु संपूर्ण स्त्रियों और भाइयों को भी हार गया था । इस कारण उसे अपने भाइयों और द्रौपदी के साथ बारह वर्ष तक वनवास तथा एक वर्ष का गुप्तवास भी करना पड़ा था । <span class="GRef"> पांडवपुराण 16.109-118, 123-125 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> सात व्यसनों में पहला व्यसन-जुआ । यह यश और वन की हानि करने वाला, सब अनर्थों का कारण तथा इहलोक और परलोक दोनों में अनेक दुःखों का दाता है । युधिष्ठिर इसी से दुःख में पड़ा था । वह न केवल धन दौलत अपितु संपूर्ण स्त्रियों और भाइयों को भी हार गया था । इस कारण उसे अपने भाइयों और द्रौपदी के साथ बारह वर्ष तक वनवास तथा एक वर्ष का गुप्तवास भी करना पड़ा था । <span class="GRef"> पांडवपुराण 16.109-118, 123-125 </span></p> | ||
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सात व्यसनों में पहला व्यसन-जुआ । यह यश और वन की हानि करने वाला, सब अनर्थों का कारण तथा इहलोक और परलोक दोनों में अनेक दुःखों का दाता है । युधिष्ठिर इसी से दुःख में पड़ा था । वह न केवल धन दौलत अपितु संपूर्ण स्त्रियों और भाइयों को भी हार गया था । इस कारण उसे अपने भाइयों और द्रौपदी के साथ बारह वर्ष तक वनवास तथा एक वर्ष का गुप्तवास भी करना पड़ा था । पांडवपुराण 16.109-118, 123-125