ध्रुवराज: Difference between revisions
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(दक्षिण में लाटदेश के नरेश कृष्णराज प्रथम का पुत्र था। राजा श्रीवल्लभ का छोटा भाई था। इसने अवंती के राजा वत्सराज को युद्ध में हराकर उसका देश छीन लिया था। पीछे मदोन्मत्त हो जाने से राष्ट्रकूट नरेश अमोघवर्ष के प्रति भी विद्रोह किया। फलस्वरूप अमोघवर्ष ने अपने चचा इंद्रराज के पुत्र कर्मराज की सहायता से इसे हराकर इसका सब देश अपने राज्य में मिला लिया। यह राजा प्रतिहारवंशी था। समय‒श.702-757 (ई.780-835) देखें [[ इतिहास#3.4 | इतिहास - 3.4 ]]( हरिवंशपुराण/66/52-53 ), ( हरिवंशपुराण/ प्र./5/पं.पन्नालाल)। | (दक्षिण में लाटदेश के नरेश कृष्णराज प्रथम का पुत्र था। राजा श्रीवल्लभ का छोटा भाई था। इसने अवंती के राजा वत्सराज को युद्ध में हराकर उसका देश छीन लिया था। पीछे मदोन्मत्त हो जाने से राष्ट्रकूट नरेश अमोघवर्ष के प्रति भी विद्रोह किया। फलस्वरूप अमोघवर्ष ने अपने चचा इंद्रराज के पुत्र कर्मराज की सहायता से इसे हराकर इसका सब देश अपने राज्य में मिला लिया। यह राजा प्रतिहारवंशी था। समय‒श.702-757 (ई.780-835) देखें [[ इतिहास#3.4 | इतिहास - 3.4 ]]<span class="GRef">( हरिवंशपुराण/66/52-53 )</span>, <span class="GRef">( हरिवंशपुराण/ </span>प्र./5/पं.पन्नालाल)। | ||
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Latest revision as of 22:21, 17 November 2023
(दक्षिण में लाटदेश के नरेश कृष्णराज प्रथम का पुत्र था। राजा श्रीवल्लभ का छोटा भाई था। इसने अवंती के राजा वत्सराज को युद्ध में हराकर उसका देश छीन लिया था। पीछे मदोन्मत्त हो जाने से राष्ट्रकूट नरेश अमोघवर्ष के प्रति भी विद्रोह किया। फलस्वरूप अमोघवर्ष ने अपने चचा इंद्रराज के पुत्र कर्मराज की सहायता से इसे हराकर इसका सब देश अपने राज्य में मिला लिया। यह राजा प्रतिहारवंशी था। समय‒श.702-757 (ई.780-835) देखें इतिहास - 3.4 ( हरिवंशपुराण/66/52-53 ), ( हरिवंशपुराण/ प्र./5/पं.पन्नालाल)।