परमेष्ठी गुणव्रत: Difference between revisions
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Latest revision as of 13:54, 8 September 2022
अर्हंतों के 46; सिद्धों के 8; आचार्यों के 36; उपाध्यायों के 25 और साधुओं के 28 ये सब मिलकर 143 गुण हैं। निम्न विशेष तिथियों में एकांतरा क्रम से 143 उपवास करें और नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। 143 गुणों की पृथक् तिथियाँ - अर्हंत भगवान् के 10 अतिशयों की 10 दशमी; केवलज्ञान के अतिशयों की 10 दशमी; देवकृत 14 अतिशयों की 14 चतुर्दशी; अष्ट प्रतिहायो की 8 अष्टमी; चार अनंतचतुष्ट की 4 चौथ = 46। सिद्धों के सम्यक्त्वादि आठ गुणों की आठ अष्टमी। आचार्यों के बारह तपों की 12 द्वादशी; छह आवश्यकों की 6 षष्ठी; पंचाचार की 5 पंचमी; दश धर्मों की 10 दशमी; तीन गुप्तियों की तीन तीज = 36। उपाध्याय के चौदह पूर्वों की 14 चतुर्दशी; 11 अंगों की 11 एकादशी = 25। साधुओं के 5 व्रत की पाँच पंचमी; पाँच समितियों की 5 पंचमी; छह आवश्यकों की 6 षष्ठी; शेष सात क्रियाओं की 7 सप्तमी = 28। इस प्रकार कुल 3 तीज, 4 चौथ, 20 पंचमी; 12 छठ; 7 सप्तमी; 36 अष्टमी, नवमी कोई नहीं, 30 दशमी, 11 एकादशी, 12 द्वादशी, त्रयोदशी कोई नहीं, 28 चतुर्दशी = 143। (व्रतविधान संग्रह/पृ.118)।