पुरुषार्थवाद: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
mNo edit summary |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> गोम्मटसार कर्मकांड/890 <span class="PrakritGatha">आलसड्ढो णिरुच्छाहो फलं किंचिं ण भुंजदे। थणक्खीरादिपाणं वा पउरुसेण विणा ण हि। 890।</span> = <span class="HindiText">आलस्यकरि संयुक्त होय उत्साह उद्यम रहित होइ सौ किछूं भी फल को भोगवै नाहीं। जैसे - स्तन का दूध उद्यम ही तै पीवने में आवै है पौरुष विना पीवने में न आवै। तैसे सर्व पौरुष करि सिद्धि है, ऐसा पौरुषवाद है। 890। </span></p> | <p><span class="GRef"> गोम्मटसार कर्मकांड/890 </span><span class="PrakritGatha">आलसड्ढो णिरुच्छाहो फलं किंचिं ण भुंजदे। थणक्खीरादिपाणं वा पउरुसेण विणा ण हि। 890।</span> = <span class="HindiText">आलस्यकरि संयुक्त होय उत्साह उद्यम रहित होइ सौ किछूं भी फल को भोगवै नाहीं। जैसे - स्तन का दूध उद्यम ही तै पीवने में आवै है पौरुष विना पीवने में न आवै। तैसे सर्व पौरुष करि सिद्धि है, ऐसा पौरुषवाद है। 890। </span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 8: | Line 8: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: प]] | [[Category: प]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 20:40, 11 September 2022
गोम्मटसार कर्मकांड/890 आलसड्ढो णिरुच्छाहो फलं किंचिं ण भुंजदे। थणक्खीरादिपाणं वा पउरुसेण विणा ण हि। 890। = आलस्यकरि संयुक्त होय उत्साह उद्यम रहित होइ सौ किछूं भी फल को भोगवै नाहीं। जैसे - स्तन का दूध उद्यम ही तै पीवने में आवै है पौरुष विना पीवने में न आवै। तैसे सर्व पौरुष करि सिद्धि है, ऐसा पौरुषवाद है। 890।