भव्यकूट: Difference between revisions
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<p> समवसरण का दैदीप्यमान शिखरों से युक्त एक स्तूप । इसे अभव्य जीव नहीं देख पाते क्योंकि स्तूप के प्रभाव से उनके नेत्र अंधे हो जाते हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 57.104 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> समवसरण का दैदीप्यमान शिखरों से युक्त एक स्तूप । इसे अभव्य जीव नहीं देख पाते क्योंकि स्तूप के प्रभाव से उनके नेत्र अंधे हो जाते हैं । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_57#104|हरिवंशपुराण - 57.104]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
समवसरण का दैदीप्यमान शिखरों से युक्त एक स्तूप । इसे अभव्य जीव नहीं देख पाते क्योंकि स्तूप के प्रभाव से उनके नेत्र अंधे हो जाते हैं । हरिवंशपुराण - 57.104