यमधर: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) एक राजर्षि । राजा वज्रबाहु और उनके वीरबाहु आदि अट्ठानवें पुत्र तथा पाँच सौ अन्य राजा इन्हीं से संयमी हुए थे । <span class="GRef"> महापुराण 8.57-58 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) एक राजर्षि । राजा वज्रबाहु और उनके वीरबाहु आदि अट्ठानवें पुत्र तथा पाँच सौ अन्य राजा इन्हीं से संयमी हुए थे । <span class="GRef"> महापुराण 8.57-58 </span></p> | ||
<p id="2">(2) सिद्धकूट पर विराजमान एक गुरु-मुनि । चंद्रपुर नगर के राजा विद्याधर महेंद्र की पुत्री कनकमाला ने इन्हीं से अपनी भवावलि सुनकर मुक्तावली व्रत लिया था । <span class="GRef"> महापुराण 71.405-408 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) सिद्धकूट पर विराजमान एक गुरु-मुनि । चंद्रपुर नगर के राजा विद्याधर महेंद्र की पुत्री कनकमाला ने इन्हीं से अपनी भवावलि सुनकर मुक्तावली व्रत लिया था । <span class="GRef"> महापुराण 71.405-408 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
(1) एक राजर्षि । राजा वज्रबाहु और उनके वीरबाहु आदि अट्ठानवें पुत्र तथा पाँच सौ अन्य राजा इन्हीं से संयमी हुए थे । महापुराण 8.57-58
(2) सिद्धकूट पर विराजमान एक गुरु-मुनि । चंद्रपुर नगर के राजा विद्याधर महेंद्र की पुत्री कनकमाला ने इन्हीं से अपनी भवावलि सुनकर मुक्तावली व्रत लिया था । महापुराण 71.405-408