लाभ: Difference between revisions
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<li | <li class="HindiText"><strong> क्षायिक लाभ संबंधी शंका समाधान</strong> </span><br /> | ||
<span class="GRef"> धवला 14/5,6,18/17/3 </span><span class="PrakritText">अरहंता जदि खीणलाहंतराइया तो तेसिं सव्वत्थोवलंभो किण्ण जायदे। सच्चं, अत्थि तेसिं सव्वत्थोवलंभो, सगायत्तासेसभुवणत्तादो।</span> = <span class="HindiText"><strong>प्रश्न -</strong> अरहंतों के यदि लाभांतराय कर्म का क्षय हो गया है तो उनको सब पदार्थों की प्राप्ति क्यों नहीं होती ? <strong>उत्तर -</strong>सत्य है, उन्हें सब पदार्थों की प्राप्ति होती है, क्योंकि उन्होंने अशेष भुवन को अपने आधीन कर लिया है।</span></li> | |||
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Latest revision as of 22:35, 17 November 2023
- लाभ सामान्य का लक्षण
धवला 13/5,5,63/334/3 इच्छिदट्ठोवलद्धी लाहो णाम। तव्विवरीयो अलाहो। = इच्छित अर्थ की प्राप्ति का नाम लाभ है ( धवला 13/5,5,137/389/13 ) और इससे विपरीत अर्थात् इच्छित अर्थ की प्राप्ति का न होना अलाभ है।
- क्षायिक लाभ का लक्षण
सर्वार्थसिद्धि/2/4/154/5 लाभांतरायस्याशेषस्य निरासात् परित्यक्तकवलाहारक्रियाणां केवलिनां यतः शरीरबलाधानहेतवोऽन्यमनुजासाधारणाः परमशुभाः सूक्ष्माः अनंताः प्रतिसमयं पुद्गलाः संबंधमुपयांति स क्षायिको लाभः। = समस्त लाभांतराय कर्म के क्षय से कवलाहार क्रिया से रहित केवलियों के क्षायिक लाभ होता है जिससे उनके शरीर को बल प्रदान करने में कारणभूत दूसरे मनुष्यों को असाधारण अर्थात् कभी प्राप्त न होने वाले परम शुभ और सूक्ष्म ऐसे अनंत परमाणु प्रति समय संबंध को प्राप्त होते हैं। ( राजवार्तिक/2/4/2/104/30 )
- क्षायिक लाभ संबंधी शंका समाधान
धवला 14/5,6,18/17/3 अरहंता जदि खीणलाहंतराइया तो तेसिं सव्वत्थोवलंभो किण्ण जायदे। सच्चं, अत्थि तेसिं सव्वत्थोवलंभो, सगायत्तासेसभुवणत्तादो। = प्रश्न - अरहंतों के यदि लाभांतराय कर्म का क्षय हो गया है तो उनको सब पदार्थों की प्राप्ति क्यों नहीं होती ? उत्तर -सत्य है, उन्हें सब पदार्थों की प्राप्ति होती है, क्योंकि उन्होंने अशेष भुवन को अपने आधीन कर लिया है।