वसुसेन: Difference between revisions
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<p id="1">(1) तीर्थंकर वृषभदेव के सैंतीसवें गणधर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 12.61 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) तीर्थंकर वृषभदेव के सैंतीसवें गणधर । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_12#61|हरिवंशपुराण - 12.61]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) जंबूद्वीप के वत्सकावती देश में अरिष्टपुर के राजा वासव और रानी सुमित्रा का पुत्र । राजा वासव सागरसेन मुनिराज से धर्मश्रवण करके विरक्त हो गया था । उसने इसे राज्य देकर दीक्षा ले ली थी । इसकी माँ कृष्ण की पटरानी लक्ष्मणा के पूर्वभव का जीव थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.75-85 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) जंबूद्वीप के वत्सकावती देश में अरिष्टपुर के राजा वासव और रानी सुमित्रा का पुत्र । राजा वासव सागरसेन मुनिराज से धर्मश्रवण करके विरक्त हो गया था । उसने इसे राज्य देकर दीक्षा ले ली थी । इसकी माँ कृष्ण की पटरानी लक्ष्मणा के पूर्वभव का जीव थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#75|हरिवंशपुराण - 60.75-85]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
(1) तीर्थंकर वृषभदेव के सैंतीसवें गणधर । हरिवंशपुराण - 12.61
(2) जंबूद्वीप के वत्सकावती देश में अरिष्टपुर के राजा वासव और रानी सुमित्रा का पुत्र । राजा वासव सागरसेन मुनिराज से धर्मश्रवण करके विरक्त हो गया था । उसने इसे राज्य देकर दीक्षा ले ली थी । इसकी माँ कृष्ण की पटरानी लक्ष्मणा के पूर्वभव का जीव थी । हरिवंशपुराण - 60.75-85