वसंततिलका: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) अंजना की सखी । इसका अपर नाम वसंतमाला था । इसने अंजना के समक्ष पवनंजय की प्रशंसा की थी । यह आकाश में मंडलाकार भ्रमण करने में समर्थ थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 15.147, 160 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) अंजना की सखी । इसका अपर नाम वसंतमाला था । इसने अंजना के समक्ष पवनंजय की प्रशंसा की थी । यह आकाश में मंडलाकार भ्रमण करने में समर्थ थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_15#147|पद्मपुराण - 15.147]], 160 </span></p> | ||
<p id="2">(2) पद्मिनी नगरी का निकटवर्ती एक उद्यान । विंध्यश्री को सर्प के काटने पर सुलोचना ने उसे पंच-नमस्कार मंत्र इसी उद्यान में सुनाया था । <span class="GRef"> महापुराण 45.155, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 39.95-97 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) पद्मिनी नगरी का निकटवर्ती एक उद्यान । विंध्यश्री को सर्प के काटने पर सुलोचना ने उसे पंच-नमस्कार मंत्र इसी उद्यान में सुनाया था । <span class="GRef"> महापुराण 45.155, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_39#95|पद्मपुराण - 39.95-97]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
(1) अंजना की सखी । इसका अपर नाम वसंतमाला था । इसने अंजना के समक्ष पवनंजय की प्रशंसा की थी । यह आकाश में मंडलाकार भ्रमण करने में समर्थ थी । पद्मपुराण - 15.147, 160
(2) पद्मिनी नगरी का निकटवर्ती एक उद्यान । विंध्यश्री को सर्प के काटने पर सुलोचना ने उसे पंच-नमस्कार मंत्र इसी उद्यान में सुनाया था । महापुराण 45.155, पद्मपुराण - 39.95-97