शत्रु: Difference between revisions
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<p> आत्महितकारी तप, दीक्षा और व्रत आदि ग्रहण करने में बाधक कुबुद्धि । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 8.44 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> आत्महितकारी तप, दीक्षा और व्रत आदि ग्रहण करने में बाधक कुबुद्धि । <span class="GRef"> (वीरवर्द्धमान चरित्र 8.44) </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
सच्चा शत्रु मोह है-देखें मोहनीय - 1.5।
पुराणकोष से
आत्महितकारी तप, दीक्षा और व्रत आदि ग्रहण करने में बाधक कुबुद्धि । (वीरवर्द्धमान चरित्र 8.44)