सुरेंद्र यंत्र: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(3 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p class="HindiText"><strong>यंत्र—</strong>कुछ विशिष्ट प्रकार के अक्षर, शब्द च मंत्र रचना जो कोष्ठक आदि बनाकर उनमें चित्रित किये जाते हैं, यंत्र कहलाते हैं। मंत्र शास्त्र के अनुसार इसमें कुछ अलौकिक शक्ति मानी गयी है, और इसीलिए जैन संप्रदाय में इसे पूजा व विनय का विशेष स्थान प्राप्त है। मंत्र सिद्धि, पूजा, प्रतिष्ठा व यज्ञ विधान आदिकों में इनका बहुलता से प्रयोग किया जाता है। प्रयोजन के अनुसार अनेक यंत्र रूढ़ हैं और बनाये जा सकते हैं, जिनमें से प्राय: प्रयोग में आने वाले कुछ प्रसिद्ध यंत्रों में से एक हैं। </p> | |||
<p class="HindiText">देखें [[ Media:Yantra-47.png | यंत्र - 47]]। </p> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 8: | Line 10: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: स]] | [[Category: स]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 11:03, 24 February 2024
यंत्र—कुछ विशिष्ट प्रकार के अक्षर, शब्द च मंत्र रचना जो कोष्ठक आदि बनाकर उनमें चित्रित किये जाते हैं, यंत्र कहलाते हैं। मंत्र शास्त्र के अनुसार इसमें कुछ अलौकिक शक्ति मानी गयी है, और इसीलिए जैन संप्रदाय में इसे पूजा व विनय का विशेष स्थान प्राप्त है। मंत्र सिद्धि, पूजा, प्रतिष्ठा व यज्ञ विधान आदिकों में इनका बहुलता से प्रयोग किया जाता है। प्रयोजन के अनुसार अनेक यंत्र रूढ़ हैं और बनाये जा सकते हैं, जिनमें से प्राय: प्रयोग में आने वाले कुछ प्रसिद्ध यंत्रों में से एक हैं।
देखें यंत्र - 47।