स्निग्ध: Difference between revisions
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<span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/5/33/304/5 </span><span class="SanskritText">बाह्याभ्यंतरकारणवशात् स्नेहपर्यायाविर्भावात् स्निह्यते स्मेति स्निग्ध:।... स्निग्धत्वं चिक्क्रणगुणलक्षण: पर्याय:।</span> = <span class="HindiText">बाह्य और आभ्यंतर कारण से जो स्नेह पर्याय उत्पन्न होती है उससे पुद्गल स्निग्ध कहलाता है।... स्निग्ध पुद्गल का धर्म स्निग्धत्व है।</span> | |||
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सर्वार्थसिद्धि/5/33/304/5 बाह्याभ्यंतरकारणवशात् स्नेहपर्यायाविर्भावात् स्निह्यते स्मेति स्निग्ध:।... स्निग्धत्वं चिक्क्रणगुणलक्षण: पर्याय:। = बाह्य और आभ्यंतर कारण से जो स्नेह पर्याय उत्पन्न होती है उससे पुद्गल स्निग्ध कहलाता है।... स्निग्ध पुद्गल का धर्म स्निग्धत्व है।