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Latest revision as of 15:31, 27 November 2023
प्रथम पाँच कुलकरों के समय की एक दंड व्यवस्था । इसमें अपराधियों को ‘‘खेद है कि तुमने ऐसा अपराध किया’’ दंड स्वरूप ऐसा कहा जाता था । महापुराण 3. 214