कृतक: Difference between revisions
From जैनकोष
('स.म.! <span class="SanskritText">आपेक्षितपरव्यापारो हि भाव: स्वभाव...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(6 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef">स्याद्वाद मंजरी</span>! <span class="SanskritText">आपेक्षितपरव्यापारो हि भाव: स्वभावनिष्पन्नो कृतमित्युच्यते।</span>=<span class="HindiText">जो पदार्थ अपने स्वभाव की सिद्धि में दूसरे के व्यापार की इच्छा करता है, उसे कृतक कहते हैं। </span> | |||
< | <noinclude> | ||
[[ कूष्मांडगणमाता | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[Category:क]] | [[ कृतकादित्रिक | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: क]] | |||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 15:34, 24 March 2023
स्याद्वाद मंजरी! आपेक्षितपरव्यापारो हि भाव: स्वभावनिष्पन्नो कृतमित्युच्यते।=जो पदार्थ अपने स्वभाव की सिद्धि में दूसरे के व्यापार की इच्छा करता है, उसे कृतक कहते हैं।