पुष्यमित्र: Difference between revisions
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<li> मगधदेश की राज्य वंशावली के अनुसार यह शक जाति का सरदार था। जिसने मौर्य काल में ही मगध के किसी भाग पर अपना अधिकार जमा लिया था। तदनुसार इनका समय वी.नि.255-285 (ई.पू. 271-246) है। विशेष (देखें [[ इतिहास#3.4 | इतिहास - 3.4]])</li> | <li> मगधदेश की राज्य वंशावली के अनुसार यह शक जाति का सरदार था। जिसने मौर्य काल में ही मगध के किसी भाग पर अपना अधिकार जमा लिया था। तदनुसार इनका समय वी.नि.255-285 (ई.पू. 271-246) है। विशेष (देखें [[ इतिहास#3.4 | इतिहास - 3.4]])</li> | ||
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<p> यह मरीचि का जीव था और भारद्वाज की भार्या पुष्पदत्ता का पुत्र था । यह पारिव्राजक हुआ और इसने संख्यात तत्त्वों का उपदेश दिया । मरकर यह सौधर्म स्वर्ग में देव हुआ । अनेक पर्यायों के पश्चात् यह चौबीसवां तीर्थंकर महावीर हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 74.66-73 </span>देखें [[ महावीर ]]</p> | <p class="HindiText" > यह मरीचि का जीव था और भारद्वाज की भार्या पुष्पदत्ता का पुत्र था । यह पारिव्राजक हुआ और इसने संख्यात तत्त्वों का उपदेश दिया । मरकर यह सौधर्म स्वर्ग में देव हुआ । अनेक पर्यायों के पश्चात् यह चौबीसवां तीर्थंकर महावीर हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 74.66-73 </span>देखें [[ महावीर ]]</p> | ||
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Latest revision as of 10:56, 19 October 2022
सिद्धांतकोष से
- मगधदेश की राज्य वंशावली के अनुसार यह शक जाति का सरदार था। जिसने मौर्य काल में ही मगध के किसी भाग पर अपना अधिकार जमा लिया था। तदनुसार इनका समय वी.नि.255-285 (ई.पू. 271-246) है। विशेष (देखें इतिहास - 3.4)
- महापुराण/74/71 यह वर्धमान भगवान् का दूरवर्ती पूर्व भव है - देखें महावीर।
पुराणकोष से
यह मरीचि का जीव था और भारद्वाज की भार्या पुष्पदत्ता का पुत्र था । यह पारिव्राजक हुआ और इसने संख्यात तत्त्वों का उपदेश दिया । मरकर यह सौधर्म स्वर्ग में देव हुआ । अनेक पर्यायों के पश्चात् यह चौबीसवां तीर्थंकर महावीर हुआ । महापुराण 74.66-73 देखें महावीर