उत्पादपूर्व: Difference between revisions
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<p><span class="GRef"> राजवार्तिक/1/20/12/-74/11 तक</span> <span class="SanskritText">कालपुद्गलजीवादीनां यदा यत्र यथा च पर्यायेणोत्पादो वर्ण्यते तदुत्पादपूर्वं। </span> =<span class="HindiText"><strong>उत्पादपूर्व</strong> में जीव पुद्गलादि का जहाँ जब जैसा उत्पाद होता है उस सबका वर्णन है। | |||
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Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
श्रुतज्ञान के अंगप्रविष्ट में समागत चौदह पूर्वों में से प्रथम पूर्व
राजवार्तिक/1/20/12/-74/11 तक कालपुद्गलजीवादीनां यदा यत्र यथा च पर्यायेणोत्पादो वर्ण्यते तदुत्पादपूर्वं। =उत्पादपूर्व में जीव पुद्गलादि का जहाँ जब जैसा उत्पाद होता है उस सबका वर्णन है।
श्रुतज्ञान के विस्तार हेतु देखें श्रुतज्ञान - III
अन्य भेदों के स्वरूप हेतु देखें शब्द लिंगज श्रुतज्ञान विशेष
पुराणकोष से
श्रुतज्ञान का प्रथम पूर्व । हरिवंशपुराण - 2.97 इसमें एक करोड़ पद है । इन पदों में द्रव्यों के उत्पाद, व्यय और ध्रौव्य गुणों का वर्णन है । हरिवंशपुराण - 10.75