उत्सेधांगुल: Difference between revisions
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<p class="HindiText"> यह क्षेत्र प्रमाण की इकाई है। आठ यव का एक उत्सेधांगुल होता है। 1 प्रमाणांगुल में 500 उत्सेधांगुल होते हैं। <br > | |||
गणित के सम्बन्ध में जानने हेतु देखें [[ गणित#I.1.3 | गणित - I.1.3]]।</p> | |||
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p> आठ जो प्रमाण माप । इससे जीवों के शरीर की ऊँचाई और छोटी वस्तुओं का प्रमाण ग्रहण किया जाता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 7.39-41 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> आठ जो प्रमाण माप । इससे जीवों के शरीर की ऊँचाई और छोटी वस्तुओं का प्रमाण ग्रहण किया जाता है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_7#39|हरिवंशपुराण - 7.39-41]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
यह क्षेत्र प्रमाण की इकाई है। आठ यव का एक उत्सेधांगुल होता है। 1 प्रमाणांगुल में 500 उत्सेधांगुल होते हैं।
गणित के सम्बन्ध में जानने हेतु देखें गणित - I.1.3।
पुराणकोष से
आठ जो प्रमाण माप । इससे जीवों के शरीर की ऊँचाई और छोटी वस्तुओं का प्रमाण ग्रहण किया जाता है । हरिवंशपुराण - 7.39-41