धर्मास्तिकाय: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> पंचास्तिकायों में जीवों एवं पुद्गलों की गति में सहायक एक द्रव्य । यह अमूर्त, नित्य और निष्क्रिय होता है । अलोकाकाश में इस द्रव्य का अभाव है । यही कारण है कि वहाँ जीव नहीं पाये जाते हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.2-3 </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 16.129 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> पंचास्तिकायों में जीवों एवं पुद्गलों की गति में सहायक एक द्रव्य । यह अमूर्त, नित्य और निष्क्रिय होता है । अलोकाकाश में इस द्रव्य का अभाव है । यही कारण है कि वहाँ जीव नहीं पाये जाते हैं । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_4#2|हरिवंशपुराण - 4.2-3]] </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 16.129 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
देखें धर्माधर्म ।
पुराणकोष से
पंचास्तिकायों में जीवों एवं पुद्गलों की गति में सहायक एक द्रव्य । यह अमूर्त, नित्य और निष्क्रिय होता है । अलोकाकाश में इस द्रव्य का अभाव है । यही कारण है कि वहाँ जीव नहीं पाये जाते हैं । हरिवंशपुराण - 4.2-3 वीरवर्द्धमान चरित्र 16.129