पृथिवीकाय: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> तिर्यंच गतियों में पाये जाने वाले जीवों में स्थावर जीवों का प्रथम भेद । ऐसे जीव पृथिवी को खोदे जाने, जलती हुई अग्नि द्वारा तपाये जाने, बुझाये जाने, अनेक कठोर वस्तुओं से टकराये जाने तथा छेदे-भेदे जाने से दुःख प्राप्त करते हैं । इन जीवों की सात लाख कुयोनियों तथा बाईस लाख कुल कोटियाँ है । खर पृथिवी के जीवों की आयु बाईस हजार वर्ष और कोमल पृथिवी की बारह हजार वर्ष होती है । <span class="GRef"> महापुराण 17.21-23 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 3. 120-121, 18.57-64 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> तिर्यंच गतियों में पाये जाने वाले जीवों में स्थावर जीवों का प्रथम भेद । ऐसे जीव पृथिवी को खोदे जाने, जलती हुई अग्नि द्वारा तपाये जाने, बुझाये जाने, अनेक कठोर वस्तुओं से टकराये जाने तथा छेदे-भेदे जाने से दुःख प्राप्त करते हैं । इन जीवों की सात लाख कुयोनियों तथा बाईस लाख कुल कोटियाँ है । खर पृथिवी के जीवों की आयु बाईस हजार वर्ष और कोमल पृथिवी की बारह हजार वर्ष होती है । <span class="GRef"> महापुराण 17.21-23 </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_3#120|हरिवंशपुराण - 3.120-121]], 18.57-64 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
तिर्यंच गतियों में पाये जाने वाले जीवों में स्थावर जीवों का प्रथम भेद । ऐसे जीव पृथिवी को खोदे जाने, जलती हुई अग्नि द्वारा तपाये जाने, बुझाये जाने, अनेक कठोर वस्तुओं से टकराये जाने तथा छेदे-भेदे जाने से दुःख प्राप्त करते हैं । इन जीवों की सात लाख कुयोनियों तथा बाईस लाख कुल कोटियाँ है । खर पृथिवी के जीवों की आयु बाईस हजार वर्ष और कोमल पृथिवी की बारह हजार वर्ष होती है । महापुराण 17.21-23 हरिवंशपुराण - 3.120-121, 18.57-64