बोधपाहुड़ गाथा 5: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 7: | Line 7: | ||
<br> | <br> | ||
<div class="HindiUtthanika">(१) आगे प्रथम ही जो आयतन कहा उसका निरूपण करते हैं -</div> | <div class="HindiUtthanika">(१) आगे प्रथम ही जो आयतन कहा उसका निरूपण करते हैं -</div> | ||
<div class=" | <div class="HindiBhavarth"><div>अर्थ - जिनमार्ग में संयमसहित मुनिरूप है, उसे ‘आयतन’ कहा है । कैसा है मुनिरूप, जिसके मन-वचन-काय द्रव्यरूप हैं वे तथा पाँच इन्द्रियों के स्पर्श, रस, गंध, वर्ण, शब्द ये विषय हैं वे । ‘आयत्त’ अर्थात् अधीन हैं-वशीभूत हैं । उनके (मन-वचन-काय और पाँच इन्द्रियों के विषय) संयमी मुनि आधीन नहीं हैं । वे मुनि के वशीभूत हैं ऐसा संयमी है वह ‘आयतन’ है ॥५॥</div> | ||
</div> | </div> | ||
<br> | <br> |
Latest revision as of 17:21, 2 November 2013
मणवयणकायदव्वा आयत्त१ जस्स इन्दिया विसया ।
आयदणं जिणमग्गे णिद्दिट्ठं संजयं रूवं ॥५॥
मनोवचनकायद्रव्याणि आयत्त: यस्य ऐन्द्रिया: विषया: ।
आयतनं जिनमार्गे निर्दिष्टं संयतं रूपम् ॥५॥
(१) आगे प्रथम ही जो आयतन कहा उसका निरूपण करते हैं -
अर्थ - जिनमार्ग में संयमसहित मुनिरूप है, उसे ‘आयतन’ कहा है । कैसा है मुनिरूप, जिसके मन-वचन-काय द्रव्यरूप हैं वे तथा पाँच इन्द्रियों के स्पर्श, रस, गंध, वर्ण, शब्द ये विषय हैं वे । ‘आयत्त’ अर्थात् अधीन हैं-वशीभूत हैं । उनके (मन-वचन-काय और पाँच इन्द्रियों के विषय) संयमी मुनि आधीन नहीं हैं । वे मुनि के वशीभूत हैं ऐसा संयमी है वह ‘आयतन’ है ॥५॥