मित्रश्री: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> भरतक्षेत्र के अग्र देश की चंपा नगरी के ब्राह्मण अग्निभूति और उसकी स्त्री अग्निलता की दूसरी पुत्री । यह धनश्री की छोटी बहिन तथा नागश्री की बडी बहिन थी । ये तीनों बहिनें अपने फुफेरे भाई सोमदत्त, सोमिल और सोमभूति से विवाही गयी थी । अपनी छोटी बहिन नागश्री द्वारा धर्मरुचि मुनिराज को विषमिश्रित आहार दिये जाने से यह और इसकी | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> भरतक्षेत्र के अग्र देश की चंपा नगरी के ब्राह्मण अग्निभूति और उसकी स्त्री अग्निलता की दूसरी पुत्री । यह धनश्री की छोटी बहिन तथा नागश्री की बडी बहिन थी । ये तीनों बहिनें अपने फुफेरे भाई सोमदत्त, सोमिल और सोमभूति से विवाही गयी थी । अपनी छोटी बहिन नागश्री द्वारा धर्मरुचि मुनिराज को विषमिश्रित आहार दिये जाने से यह और इसकी बडी बहिन धनश्री तथा सोमदत्त आदि तीनों भाई दीक्षित हो गये थे । दर्शन आदि आराधनाओं की आराधना करते हुए मरकर ये पांचों जीव अच्युत स्वर्ग में सामानिक देव हुए । यह यहाँ से चयकर पांडुपुत्र सहदेव हुई थी । <span class="GRef"> महापुराण 72. 227-237, 261, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 23.81-82, 24.77 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
भरतक्षेत्र के अग्र देश की चंपा नगरी के ब्राह्मण अग्निभूति और उसकी स्त्री अग्निलता की दूसरी पुत्री । यह धनश्री की छोटी बहिन तथा नागश्री की बडी बहिन थी । ये तीनों बहिनें अपने फुफेरे भाई सोमदत्त, सोमिल और सोमभूति से विवाही गयी थी । अपनी छोटी बहिन नागश्री द्वारा धर्मरुचि मुनिराज को विषमिश्रित आहार दिये जाने से यह और इसकी बडी बहिन धनश्री तथा सोमदत्त आदि तीनों भाई दीक्षित हो गये थे । दर्शन आदि आराधनाओं की आराधना करते हुए मरकर ये पांचों जीव अच्युत स्वर्ग में सामानिक देव हुए । यह यहाँ से चयकर पांडुपुत्र सहदेव हुई थी । महापुराण 72. 227-237, 261, पांडवपुराण 23.81-82, 24.77