मिश्रगुणस्थान: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> तीसरा गुणस्थान । इसका अपर नाम सम्यग्मिथ्यादृक् है । इसमें जीव के परिणाम सम्यक और मिथ्यात्व से मिश्रित होते हैं । ऐसे परस्पर विरुद्ध परिणामधारी जीवों के अंतःकरण सुख और दुःख दोनों से मिश्रित रहते हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 3.80, 92, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 16.58 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> तीसरा गुणस्थान । इसका अपर नाम सम्यग्मिथ्यादृक् है । इसमें जीव के परिणाम सम्यक और मिथ्यात्व से मिश्रित होते हैं । ऐसे परस्पर विरुद्ध परिणामधारी जीवों के अंतःकरण सुख और दुःख दोनों से मिश्रित रहते हैं । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_3#80|हरिवंशपुराण - 3.80]],[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_3#92|हरिवंशपुराण - 3.92]], </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 16.58 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
तीसरा गुणस्थान । इसका अपर नाम सम्यग्मिथ्यादृक् है । इसमें जीव के परिणाम सम्यक और मिथ्यात्व से मिश्रित होते हैं । ऐसे परस्पर विरुद्ध परिणामधारी जीवों के अंतःकरण सुख और दुःख दोनों से मिश्रित रहते हैं । हरिवंशपुराण - 3.80,हरिवंशपुराण - 3.92, वीरवर्द्धमान चरित्र 16.58