रहोभ्याख्यान: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> सत्याणुव्रत का एक अतिचार-स्त्री-पुरुषों की एकांत चेष्टा को प्रकट करना । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.167 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> सत्याणुव्रत का एक अतिचार-स्त्री-पुरुषों की एकांत चेष्टा को प्रकट करना । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_58#167|हरिवंशपुराण - 58.167]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
सर्वार्थसिद्धि/7/26/366/8 यत्स्त्रीपुंसाभ्यामेकांतेऽनुष्ठितस्य क्रियाविशेषस्य प्रकाशनं तद्रहोभ्याख्यानं वेदितव्यम् । = स्त्री और पुरुष द्वारा एकांत में किये गये आचरण विशेष का प्रगट कर देना रहोभ्याख्यान है । ( राजवार्तिक/7/26/2/553/9 )।
पुराणकोष से
सत्याणुव्रत का एक अतिचार-स्त्री-पुरुषों की एकांत चेष्टा को प्रकट करना । हरिवंशपुराण - 58.167