विज्ञानवादी: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p> जीव और विज्ञानवाद के विवेचक । ये अपने अनुभव के अतिरिक्त अन्य किसी बाह्य ज्ञेय की सत्ता नहीं मानते । पृथक् रूप से उपलब्ध न होने के कारण ये जीव नामक कोई पदार्थ नहीं मानते । उसे अपने कर्म-फल का भोक्ता नहीं मानते । इन्हें परलोक का भय नहीं होता । ये जगत् को स्वप्न के समान मिथ्या मानते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 5.38-43 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> जीव और विज्ञानवाद के विवेचक । ये अपने अनुभव के अतिरिक्त अन्य किसी बाह्य ज्ञेय की सत्ता नहीं मानते । पृथक् रूप से उपलब्ध न होने के कारण ये जीव नामक कोई पदार्थ नहीं मानते । उसे अपने कर्म-फल का भोक्ता नहीं मानते । इन्हें परलोक का भय नहीं होता । ये जगत् को स्वप्न के समान मिथ्या मानते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 5.38-43 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: व]] | [[Category: व]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
जीव और विज्ञानवाद के विवेचक । ये अपने अनुभव के अतिरिक्त अन्य किसी बाह्य ज्ञेय की सत्ता नहीं मानते । पृथक् रूप से उपलब्ध न होने के कारण ये जीव नामक कोई पदार्थ नहीं मानते । उसे अपने कर्म-फल का भोक्ता नहीं मानते । इन्हें परलोक का भय नहीं होता । ये जगत् को स्वप्न के समान मिथ्या मानते हैं । महापुराण 5.38-43