विश्वभूति: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) सगर चक्रवर्ती का पुरोहित । सगर के कहने पर इसने मनुष्यों के लक्षणों को बताने वाला एक सामुद्रिक-शास्त्र बनाया था । इसी शास्त्र की रचना से सगर सुलसा को स्वयंवर में प्राप्त कर सका था । इसका अपर नाम विश्वभू था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 23.56 108-110, 125 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) सगर चक्रवर्ती का पुरोहित । सगर के कहने पर इसने मनुष्यों के लक्षणों को बताने वाला एक सामुद्रिक-शास्त्र बनाया था । इसी शास्त्र की रचना से सगर सुलसा को स्वयंवर में प्राप्त कर सका था । इसका अपर नाम विश्वभू था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_23#56|हरिवंशपुराण - 23.56]] 108-110, 125 </span></p> | ||
<p id="2">(2) मगधदेश के राजगृह नगर का राजा । इसकी रानी जैनी और पुत्र विश्वनंदी था । यह शरद् ऋतु के मेघों का विनाश देखकर भोगों से विरक्त हो गया । फलस्वरूप इसने अपने छोटे भाई विशाखभूति को राजा तथा पुत्र विश्वनंदी को युवराज बनाया । अंत में इसने तीन राजाओं के साथ श्रीधर मुनि के पास मुनिदीक्षा ले ली । <span class="GRef"> महापुराण 74.86-91, 57.70-75, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 3. 10-17 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) मगधदेश के राजगृह नगर का राजा । इसकी रानी जैनी और पुत्र विश्वनंदी था । यह शरद् ऋतु के मेघों का विनाश देखकर भोगों से विरक्त हो गया । फलस्वरूप इसने अपने छोटे भाई विशाखभूति को राजा तथा पुत्र विश्वनंदी को युवराज बनाया । अंत में इसने तीन राजाओं के साथ श्रीधर मुनि के पास मुनिदीक्षा ले ली । <span class="GRef"> महापुराण 74.86-91, 57.70-75, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 3. 10-17 </span></p> | ||
<p id="3">(3) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में स्थित पोदनपुर नगर का एक ब्राह्मण । अनुंधरी इसकी पत्नी तथा कमल और मरुभूति पुत्र थे । <span class="GRef"> महापुराण 73.6-9 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में स्थित पोदनपुर नगर का एक ब्राह्मण । अनुंधरी इसकी पत्नी तथा कमल और मरुभूति पुत्र थे । <span class="GRef"> महापुराण 73.6-9 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
(1) सगर चक्रवर्ती का पुरोहित । सगर के कहने पर इसने मनुष्यों के लक्षणों को बताने वाला एक सामुद्रिक-शास्त्र बनाया था । इसी शास्त्र की रचना से सगर सुलसा को स्वयंवर में प्राप्त कर सका था । इसका अपर नाम विश्वभू था । हरिवंशपुराण - 23.56 108-110, 125
(2) मगधदेश के राजगृह नगर का राजा । इसकी रानी जैनी और पुत्र विश्वनंदी था । यह शरद् ऋतु के मेघों का विनाश देखकर भोगों से विरक्त हो गया । फलस्वरूप इसने अपने छोटे भाई विशाखभूति को राजा तथा पुत्र विश्वनंदी को युवराज बनाया । अंत में इसने तीन राजाओं के साथ श्रीधर मुनि के पास मुनिदीक्षा ले ली । महापुराण 74.86-91, 57.70-75, वीरवर्द्धमान चरित्र 3. 10-17
(3) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में स्थित पोदनपुर नगर का एक ब्राह्मण । अनुंधरी इसकी पत्नी तथा कमल और मरुभूति पुत्र थे । महापुराण 73.6-9