शिवगुप्त: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(3 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
| | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
पुन्नाट संघ की गुर्वावली के अनुसार आप गुप्ति ऋद्धि के शिष्य तथा अर्हद्बलि के गुरु थे। समय - वी.नि.560 (ई.33) - देखें [[ इतिहास#7.8 | इतिहास - 7.8]]। | <span class="HindiText">पुन्नाट संघ की गुर्वावली के अनुसार आप गुप्ति ऋद्धि के शिष्य तथा अर्हद्बलि के गुरु थे। समय - वी.नि.560 (ई.33) - देखें [[ इतिहास#7.8 | इतिहास - 7.8]]।</span> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 10: | Line 10: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: श]] | [[Category: श]] | ||
[[Category: इतिहास]] | |||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) एक | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) एक महामुनि। राजा भगीरथ ने कैलाश पर्वत पर इन्हीं मुनि से दीक्षा ली थी। <span class="GRef"> महापुराण 48.138-139 </span></p> | ||
<p id="2">(2) चक्रवर्ती सनत्कुमार के | <p id="2" class="HindiText">(2) चक्रवर्ती सनत्कुमार के दीक्षागुरु। <span class="GRef"> महापुराण 61.118 </span></p> | ||
<p id="3">(3) एक | <p id="3" class="HindiText">(3) एक मुनि। लक्ष्मण के बड़े भाई राम ने इन्हीं से धर्म का स्वरूप सुनकर श्रावक के व्रत लिये थे। <span class="GRef"> महापुराण 68.679-686 </span></p> | ||
<p id="4">(4) एक | <p id="4" class="HindiText">(4) एक यति। आगम-ज्ञान प्राप्त करने के लिए वशिष्ठ को इन्हीं यति के पास भेजा गया था। <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_33#71|हरिवंशपुराण - 33.71-72]] </span></p> | ||
<p id="5">(5) अर्हद्बलि के पूर्ववर्ती एक | <p id="5" class="HindiText">(5) अर्हद्बलि के पूर्ववर्ती एक आचार्य। <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_66#25|हरिवंशपुराण - 66.25]] </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Line 27: | Line 27: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] | |||
[[Category: श]] | [[Category: श]] |
Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
पुन्नाट संघ की गुर्वावली के अनुसार आप गुप्ति ऋद्धि के शिष्य तथा अर्हद्बलि के गुरु थे। समय - वी.नि.560 (ई.33) - देखें इतिहास - 7.8।
पुराणकोष से
(1) एक महामुनि। राजा भगीरथ ने कैलाश पर्वत पर इन्हीं मुनि से दीक्षा ली थी। महापुराण 48.138-139
(2) चक्रवर्ती सनत्कुमार के दीक्षागुरु। महापुराण 61.118
(3) एक मुनि। लक्ष्मण के बड़े भाई राम ने इन्हीं से धर्म का स्वरूप सुनकर श्रावक के व्रत लिये थे। महापुराण 68.679-686
(4) एक यति। आगम-ज्ञान प्राप्त करने के लिए वशिष्ठ को इन्हीं यति के पास भेजा गया था। हरिवंशपुराण - 33.71-72
(5) अर्हद्बलि के पूर्ववर्ती एक आचार्य। हरिवंशपुराण - 66.25