संघाट: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> वंशा-दूसरी नरकभूमि के छठे प्रस्तार का इंद्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में एक सौ चौबीस और विदिशाओं में एक सौ बीस कुल दो सौ चवालीस श्रेणिबद्ध बिल है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.78,110 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> वंशा-दूसरी नरकभूमि के छठे प्रस्तार का इंद्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में एक सौ चौबीस और विदिशाओं में एक सौ बीस कुल दो सौ चवालीस श्रेणिबद्ध बिल है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_4#78|हरिवंशपुराण - 4.78]],110 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
वंशा-दूसरी नरकभूमि के छठे प्रस्तार का इंद्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में एक सौ चौबीस और विदिशाओं में एक सौ बीस कुल दो सौ चवालीस श्रेणिबद्ध बिल है । हरिवंशपुराण - 4.78,110