कथाकोश: Difference between revisions
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<li> अपभ्रंश कवि मुनि | <li> अपभ्रंश कवि मुनि श्रीचंद (ई. श. 11 उत्तरार्ध) कृत 53 कथाओं वाला कथाकोष। (ती. 4/135)। </li> | ||
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Latest revision as of 12:56, 7 March 2023
- आ. हरिषेण (ई:931) कृत ‘बृहद् कथा कोश’ नाम का मूल संस्कृत ग्रंथ है। इसमें विभिन्न 157 कथाएँ निबद्ध हैं।
- आ. प्रभा-चंद्र (ई.950-1020) की भी ‘गद्य कथाकोश’ नाम की ऐसी ही एक रचना है।
- आ. क्षेमंधर (ई. 1000) द्वारा संस्कृत छंदों में रची ‘बृहद् कथामंजरी’ भी एक है।
- आ. सोमदेव (ई. 1061-1081) कृत ‘बृहत्कथासरित्सागर’ है।
- आ. ब्रह्मदेव (ई.श.19 मध्य) ने एक ‘कथा कोश’ रचा था।
- आ. श्रुतसागर ( ई. 1487-1499) कृत दो कथा कोश प्राप्त हैं – व्रतकथाकोश और बृहद् कथा कोश।
- नं. 1 वाले कथा कोश के आधार पर ब्र. नेमिदत्त (ई.1518) ने ‘आराधना कथा कोश’ की रचना की थी। इसमें 144 कथाएँ निबद्ध हैं।
- आ. देवेंद्रकीर्ति (ई. 1583-1605) कृत कथाकोष।
- अपभ्रंश कवि मुनि श्रीचंद (ई. श. 11 उत्तरार्ध) कृत 53 कथाओं वाला कथाकोष। (ती. 4/135)।