क्षिप्र: Difference between revisions
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<span class="GRef"> गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/311/667/14 </span><span class="SanskritText">क्षिप्र: शीघ्रपतंजलधाराप्रवाहादि:। ... अक्षिप्र: मंदं गच्छन्नश्वादि:।</span> = <span class="HindiText">शीघ्रता से पड़ती जलधारा आदि का ग्रहण '''क्षिप्र''' है और मंदगति से चलते हुए घोड़े आदि का अक्षिप्र अवग्रह है। </span><br> | |||
<span class="HindiText"> देखें [[ मतिज्ञान#4.7 | मतिज्ञान - 4.7]]।</span> | |||
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Latest revision as of 22:20, 17 November 2023
सर्वार्थसिद्धि/1/16/112/7 क्षिप्रग्रहणमचिरप्रतिपत्त्यर्थं। = क्षिप्र शब्द का ग्रहण जल्दी होने वाले ज्ञान को जतलाने के लिए है। ( राजवार्तिक/1/16/10/63/16 )।
गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/311/667/14 क्षिप्र: शीघ्रपतंजलधाराप्रवाहादि:। ... अक्षिप्र: मंदं गच्छन्नश्वादि:। = शीघ्रता से पड़ती जलधारा आदि का ग्रहण क्षिप्र है और मंदगति से चलते हुए घोड़े आदि का अक्षिप्र अवग्रह है।
देखें मतिज्ञान - 4.7।