कदलीघात: Difference between revisions
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Latest revision as of 20:15, 8 February 2023
सिद्धांतकोष से
भावपाहुड़/ मूल/25 विसवेयणरत्तक्खय-भयसत्थग्गहणसंकिलिस्साणं। आहारुस्सासाणं णिरोहणा खिणए आऊ।12। = विष खा लेने से, वेदना से, रक्त का क्षय होने से, तीव्र भय से, शस्त्रघात से, संक्लेश की अधिकता से, आहार और श्वासोच्छ्वास के रुक जाने से आयु क्षीण हो जाती है। (इस प्रकार से जो मरण होता है उसे कदलीघात कहते हैं) ।<
देखें मरण - 4।
पुराणकोष से
प्राय: युद्ध में होने वाला मनुष्यों का अकाल मरण । महापुराण 71.109