गुरु मूढ़ता: Difference between revisions
From जैनकोष
RoshanJain (talk | contribs) mNo edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
देखें [[ मूढ़ता ]]। | <span class="GRef">रत्नकरण्ड-श्रावकाचार/२४ </span><span class="SanskritGatha">सग्रन्थारम्भहिंसानां संसारावर्त्तवर्तिनाम् । पाखण्डिनां पुरस्कारो ज्ञेयं पाखण्डिमोहनम् ।२४।</span> = <span class="HindiText">परिग्रह, आरम्भ और हिंसा सहित, संसार चक्र में भ्रमण करने वाले पाखण्डी साधु तपस्वियों का आदर, सत्कार, भक्ति-पूजादि करना सब पाखण्डी या '''गुरु मूढ़ता''' है । </span><br /> | ||
<span class="HindiText">देखें [[ मूढ़ता ]]।</span> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 9: | Line 11: | ||
[[Category: ग]] | [[Category: ग]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] | [[Category: चरणानुयोग]] | ||
Latest revision as of 19:58, 19 April 2023
रत्नकरण्ड-श्रावकाचार/२४ सग्रन्थारम्भहिंसानां संसारावर्त्तवर्तिनाम् । पाखण्डिनां पुरस्कारो ज्ञेयं पाखण्डिमोहनम् ।२४। = परिग्रह, आरम्भ और हिंसा सहित, संसार चक्र में भ्रमण करने वाले पाखण्डी साधु तपस्वियों का आदर, सत्कार, भक्ति-पूजादि करना सब पाखण्डी या गुरु मूढ़ता है ।
देखें मूढ़ता ।